Property Registration Tips 2025: घर या जमीन खरीदना जीवन का सबसे बड़ा सपना होता है लेकिन थोड़ी सी चूक भारी नुकसान पहुंचा सकती है। लोग पूरी जिंदगी की कमाई लगाकर प्रॉपर्टी लेते हैं इसलिए यह जरूरी है कि रजिस्ट्री के समय पूरी सतर्कता बरती जाए। एक भी दस्तावेज अधूरा या गलती से भरा हुआ हो तो आगे चलकर लोन, रीसैल या कानूनी विवाद में फंसने का खतरा रहता है।
भारत में हर साल हजारों लोग रजिस्ट्री से जुड़ी लापरवाहियों की वजह से लंबे समय तक नुकसान झेलते हैं। कई बार फर्जीवाड़ा, बकाया टैक्स, डुप्लीकेट रजिस्ट्री और गलत दस्तावेजों की वजह से खरीदार परेशानी में आ जाते हैं। इसीलिए किसी भी प्रकार की रजिस्ट्री से पहले कुछ जरूरी बिंदुओं की जांच कर लेना बेहद जरूरी होता है।
टाइटल और ओनरशिप की जांच करें
किसी भी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने से पहले सबसे जरूरी काम होता है उस जमीन या फ्लैट की टाइटल चेन को चेक करना। विक्रेता के पास उस प्रॉपर्टी का कानूनी मालिकाना हक होना चाहिए। पिछले मालिकों के रिकार्ड्स, खतौनी, टाइटल डीड और पुरानी रजिस्ट्री को ठीक से जांचें। अगर टाइटल में कोई भी गड़बड़ी है तो भविष्य में आप कानूनी विवादों में उलझ सकते हैं। इस जांच के लिए वकील से सलाह लेना बेहतर होता है।
दस्तावेजों की पूरी जांच जरूरी है
रजिस्ट्री के समय हर जरूरी दस्तावेज का पूरा होना अनिवार्य है। इसमें सेल डीड, टाइटल डीड, एनओसी, टैक्स रसीदें, आधार कार्ड, पैन कार्ड, बिजली-पानी के बिल जैसी चीजें शामिल होती हैं। अगर कोई कागज अधूरा या गलत है तो रजिस्ट्री रुक सकती है या फिर बाद में उसे अमान्य घोषित किया जा सकता है। कोई भी दस्तावेज गलत हो तो तुरंत सुधार कराएं।
स्टाम्प ड्यूटी और फीस का सही भुगतान करें
रजिस्ट्री प्रक्रिया में स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की अहम भूमिका होती है। हर राज्य में इसकी दर अलग होती है और यह प्रॉपर्टी की सर्किल रेट या मार्केट वैल्यू पर निर्भर करता है। आमतौर पर रजिस्ट्रेशन फीस 1% तक होती है। गलत या अधूरी फीस जमा करने पर आपको देरी, पेनल्टी या दोबारा भुगतान जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है।
प्रॉपर्टी पर बकाया या लोन की जांच करें
रजिस्ट्री से पहले सुनिश्चित करें कि जिस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री की जा रही है उस पर कोई बकाया बिल या लोन न हो। पानी, बिजली, हाउस टैक्स, टेलीफोन या सोसाइटी चार्ज जैसे सभी बिल चेक करें। अगर बैंक लोन चल रहा हो तो उसकी जानकारी लेना जरूरी है। एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट जरूर लें क्योंकि इससे स्पष्ट हो जाएगा कि प्रॉपर्टी पर कोई बंधक या कानूनी बोझ तो नहीं है।
फर्जी रजिस्ट्री और डुप्लीकेट बिक्री से बचें
आज के समय में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा डुप्लीकेट रजिस्ट्री और डबल सेल के मामलों में देखा गया है। एक ही जमीन दो लोगों को बेच देना या सरकारी जमीन की बिक्री जैसे मामले आम हो चुके हैं। ऐसे में जरूरी है कि विक्रेता से ओरिजिनल डॉक्यूमेंट लें और पुराने रिकार्ड्स का पूरा मिलान करें। कोर्ट केस की जानकारी और जमाबंदी दस्तावेज भी जांचने चाहिए ताकि कोई जोखिम न हो।
सेल डीड की हर जानकारी को जांचें
सेल डीड में जितनी भी जानकारियां दर्ज होती हैं, जैसे नाम, पता, प्रॉपर्टी का क्षेत्रफल, फ्लैट नंबर, बाउंड्री, सभी कुछ ध्यान से पढ़ें। अक्सर टाइपिंग मिस्टेक की वजह से गलतियां हो जाती हैं जो आगे चलकर बड़ा नुकसान बन सकती हैं। अगर किसी भी जानकारी में गलती हो तो रजिस्ट्रेशन से पहले ही सुधार करवाएं। दोनों गवाहों की आईडी और सिग्नेचर भी वैध होना जरूरी है।
सभी मूल दस्तावेज लेना न भूलें
रजिस्ट्री के बाद विक्रेता से सभी ओरिजिनल दस्तावेज अपने पास लेना जरूरी होता है। इसमें सेल डीड, एनओसी, एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट, टाइटल डीड, टैक्स रसीद और अन्य जरूरी कागजात शामिल हैं। इन सबके लिए एक हैंडओवर लिस्ट तैयार करें और उस पर दोनों पक्षों के सिग्नेचर लें। अगर रजिस्ट्री GPA (जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी) के जरिए हो रही हो तो उसकी ओरिजिनल कॉपी भी जरूर लें।
गलतियों से कैसे बचें
अक्सर देखा गया है कि छोटी-छोटी गलतियों से ही बड़ा नुकसान हो जाता है जैसे नाम की स्पेलिंग गलत हो जाना, पता गलत दर्ज होना या रजिस्ट्री के तुरंत बाद डॉक्यूमेंट्स न लेना। ऐसी चूक भविष्य में लोन, रीसैल और लीगल मामलों में अड़चन बनती है। इसलिए हर स्टेप पर दस्तावेजों की दोबारा जांच करें और कोई भी गलती दिखे तो उसी समय उसे सुधारें।
इन दस्तावेजों को रखें तैयार
रजिस्ट्री के समय कुछ दस्तावेज बहुत जरूरी होते हैं जैसे सेल डीड, टाइटल डीड, एनओसी, टैक्स रसीद, आईडी और एड्रेस प्रूफ, एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट और गवाहों के डॉक्यूमेंट्स। सभी दस्तावेजों की एक-एक कॉपी और एक ओरिजिनल अपने पास रखें। रजिस्ट्री ऑफिस से इनकी वेरिफिकेशन भी करा सकते हैं जिससे कोई संदेह नहीं रहेगा।
सुरक्षित रजिस्ट्री के लिए क्या करें
अगर आप पहली बार प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो किसी अनुभवी वकील या प्रॉपर्टी एक्सपर्ट से सलाह लेना बेहतर होगा। प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू, गाइडलाइन वैल्यू और लोकल नियमों को पहले से जान लें। सभी दस्तावेज समय से पहले तैयार रखें और किसी भी अनजान बात को अनदेखा न करें।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। प्रॉपर्टी रजिस्ट्री से जुड़ा कोई भी निर्णय लेने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। लेख में दी गई जानकारी की सटीकता या अद्यतन स्थिति की कोई गारंटी नहीं दी जाती है।