8th Pay Commission Salary: सरकार की ओर से 8वें वेतन आयोग को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन कर्मचारी संगठनों की ओर से लगातार मांग उठाई जा रही है। इस बीच यह भी खबर आ रही है कि फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 2.86 किया जा सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि केवल फिटमेंट फैक्टर ही बदला गया और बेसिक सैलरी में किसी तरह की मूलभूत बढ़ोतरी नहीं हुई, तो इसका ज्यादा असर कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी पर नहीं दिखेगा। सरकार की योजना यह हो सकती है कि बिना नया वेतन आयोग लागू किए ही फिटमेंट फैक्टर बढ़ाकर संतुलन बनाने की कोशिश की जाए।
क्यों कम रह जाएगी सैलरी में बढ़ोतरी?
अगर 2.86 का फिटमेंट फैक्टर लागू होता है तो बेसिक सैलरी में करीब 7,000–9,000 रुपये तक की बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन जब इसमें HRA, DA और अन्य भत्तों को मिलाया जाता है तो कुल बढ़ोतरी बहुत बड़ी नहीं मानी जाएगी। इससे केंद्रीय कर्मचारियों को उम्मीद के मुकाबले कम फायदा मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि फिटमेंट फैक्टर केवल बेसिक सैलरी को गुणा करने का एक तरीका है, लेकिन यदि मूल वेतन मैट्रिक्स या ग्रेड-पे में बदलाव नहीं होता, तो कुल वेतन पर प्रभाव सीमित ही रहेगा। इससे कर्मचारियों की दीर्घकालिक मांग पूरी नहीं हो पाएगी।
DA और भत्तों पर नहीं पड़ेगा सीधा असर
फिटमेंट फैक्टर केवल बेसिक सैलरी को प्रभावित करता है, लेकिन अन्य भत्तों जैसे महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA), और ट्रांसपोर्ट अलाउंस की गणना अलग फार्मूले से की जाती है। ऐसे में यदि केवल फिटमेंट फैक्टर बदला गया और बाकी मैट्रिक्स जस की तस रही, तो DA की गणना फिर भी पुराने फार्मूले पर होगी। यानी, कुल वेतन वृद्धि सीमित ही रहेगी। सरकारी कर्मचारियों को जिस बड़ी सैलरी हाइक की उम्मीद थी, वो शायद 2.86 के बदलाव से पूरी नहीं होगी। इसलिए अब मांग उठ रही है कि पूरा वेतन ढांचा बदला जाए, न कि केवल एक फैक्टर।
ग्रेड-पे और लेवल मैट्रिक्स में बदलाव की ज़रूरत
7वें वेतन आयोग के बाद से सरकारी कर्मचारियों के ग्रेड-पे और लेवल मैट्रिक्स में ज्यादा बदलाव नहीं किए गए हैं। अब जब महंगाई तेज़ी से बढ़ रही है और निजी क्षेत्र में वेतन प्रतिस्पर्धा बढ़ चुकी है, तो केंद्र सरकार पर दबाव है कि वह वेतन संरचना की समीक्षा करे। यदि केवल फिटमेंट फैक्टर में बदलाव किया जाता है लेकिन लेवल मैट्रिक्स को जस का तस रखा जाता है, तो कर्मचारियों को वास्तविक लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए कर्मचारियों की यूनियन चाहती है कि 8वें वेतन आयोग के साथ पूरी संरचना की समीक्षा हो और नए पे-बैंड बनाए जाएं।
अगला वेतन आयोग आएगा या नहीं
8वें वेतन आयोग को लेकर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार नया आयोग लाने के बजाय केवल फिटमेंट फैक्टर और DA फॉर्मूला में बदलाव कर सकती है। इससे खर्च भी कम होगा और कर्मचारियों को एक सीमित राहत भी दी जा सकेगी। लेकिन कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यदि सरकार ने नया आयोग नहीं लाया और केवल आंशिक संशोधन किए, तो यह कर्मचारियों के साथ अन्याय होगा। ऐसे में आने वाले महीनों में इस मुद्दे पर बड़ा आंदोलन भी देखने को मिल सकता है।
राज्य कर्मचारी और पेंशनर्स का इंतजार
फिटमेंट फैक्टर और 8वें वेतन आयोग से न सिर्फ केंद्र के कर्मचारी प्रभावित होंगे, बल्कि राज्य सरकारों के कर्मचारी और पेंशनर्स भी इसका लाभ चाहते हैं। कई राज्य केंद्र के फैसले के बाद ही अपने यहां वेतन ढांचा तय करते हैं। इसलिए केंद्र सरकार की नीति का असर व्यापक होगा। पेंशनर्स खासतौर पर चाहते हैं कि उनके महंगाई भत्ते और पेंशन गणना फार्मूले में सुधार हो। यदि केवल केंद्र के कर्मचारियों को फायदा मिला तो राज्यों में असंतोष बढ़ सकता है। इसलिए पूरे देश की नजर अब केंद्र सरकार के अगले कदम पर है।
भविष्य में बदलाव का तरीका
वेतन आयोग की बजाय सरकार Performance Based Increment या Pay Review Committee जैसे वैकल्पिक मॉडल पर विचार कर रही है। इसमें हर 10 साल में आयोग लाने की बजाय 2–3 साल में समीक्षा करने का फॉर्मूला हो सकता है। इससे कर्मचारियों को समय-समय पर फायदा मिलेगा लेकिन कोई एक बड़ा बदलाव नहीं आएगा। यह मॉडल निजी सेक्टर के वेतन ढांचे से मेल खाता है। अगर सरकार यह रास्ता चुनती है, तो फिटमेंट फैक्टर को एक बार के सुधार की तरह पेश किया जाएगा और आगे हर दो साल में समीक्षा की जाएगी।
Disclaimer
यह लेख वेतन आयोग और फिटमेंट फैक्टर से संबंधित सार्वजनिक जानकारियों, विशेषज्ञ विचारों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारियां केवल सूचना के उद्देश्य से हैं और किसी प्रकार की आधिकारिक घोषणा का स्थान नहीं लेतीं। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी निर्णय से पहले वित्त मंत्रालय या DOPT की वेबसाइट और आधिकारिक नोटिफिकेशन अवश्य देखें। हमारी वेबसाइट इस विषय पर अपडेट देने का प्रयास करती है, लेकिन हम किसी भी नीतिगत बदलाव या वित्तीय नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं। कृपया सरकारी स्त्रोतों से जानकारी की पुष्टि करें।